डंडई: स्वस्थ्य जीवन के लिए पर्यावरण का स्वच्छ रहना अनिवार्य है। इसके लिए हमारे आसपास पेड़ पौधों की अधिकता बेहद जरुरी है। वृक्षों की अंधाधूंध कटाई से पर्यावरण पर इसका बुरा असर पड़ने की संभावना तीव्र हो गयी है। जहां एक ओर सरकार द्वारा हरियाली के लिए पेड़ लगाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर चंद लोग अपनी निजी आर्थिक लाभ के कारण हरे भरे पौधों को भी काटने से बाज नहीं आ रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों के लापरवाही के कारण प्रखंड के वन क्षेत्र में वृक्षों की कटाई बदस्तूर जारी है। जब मामला वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में पहुंच जाता है तो थोड़ा-बहुत जुर्माना लगाकर मामला रफादफा कर दिया जाता है। जिससे पेड़ माफिया में लगातार हौसले बुलंद होते जा रहा है। बताते चलें कि प्रखंड क्षेत्र के जिस वन भूमि पर कभी घना जंगल बसा करता था आज वो सब जंगल मैदान व बिरान सा पड़ा हुआ नजर आने लगा है। प्रखंड क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लकड़ी की कटाई धड़ल्ले से की जा रही है लेकिन वन विभाग मौन है।डंडई प्रखंड के सीमावर्ती क्षेत्र पनघटवा डैम के अगल-बगल लगे पेड़ों की कटाई लकड़ी माफिया द्वारा धड़ल्ले से की जा रही है। वही रारो, तसरार, महुडंड़ के घने जंगल अब खत्म होने के कगार पर है। रारो गांव के दक्षिण साइड स्थित चिनुखरा व लामी जंगल ,सूअरजंघा गांव स्थित बईगादह जंगल मे धड़ल्ले से सीधा चिलबिल,निम,पराश जैसे कई संख्या में लकड़ी पेड़ों को काटी जा रही है।वही कई साल पहले पनघटवा डैम के अगल-बगल लगे पेड़ों से जंगल हरभरा दिख रहा था लेकिन आज जंगलों को लकड़ी माफ़िया नष्ट करने में लगे हुए हैं।
वही वर्षो पूर्व रारो गांव के तुमिया टोला,भोलादामर के अवस्थित जंगल व फुलवार के जंगल में वन विभाग द्वारा नर्सरी पेड लगाया गया था। पिछले कुछ दिनों से कुछ चंद लोगों के द्वारा अवैध रूप से पेड़ को काट कर ले जाया जा रहा है। जिस वजह से प्राकृतिक सौंदर्य तो बिगड़ ही रहा है। जबकि सरकारी नर्सरी को भी नुकसान हो रहा है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि कई वर्ष पूर्व गांव के कई जंगलों में सरकार द्वारा लगाया गया नर्सरी का पेड़ आज नष्ट होने के कगार पर है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार फॉरेस्ट गार्ड को भी इसकी सूचना दिए हैं पर सूचना पर आकर जुर्माना लेकर छोड़ देते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में जो भी वन संपदा है वह धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है। अगर इसी तरह हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई का सिलसिला जारी रहा तो आने वाले दिनों में क्षेत्र की हरियाली और वन संपदा पूरी तरह समाप्त हो जाएगी और इसके जिम्मेदार वन महकमे के अफसर होंगे। बताते चलें कि एक तरफ सरकार पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्ष बचाओ जंगल बचाओ व वृक्ष लगाओ अभियान चला रही है। वहीं दूसरी तरफ कुछ लकड़ी माफिया के द्वारा वर्षों पुराने पेड़ों की अंधाधुन कटाई की जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार के द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु किया जा रहा प्रयास कितना सफल होगा
क्या करते हैं रेंजर
मामले में पूछे जाने पर रेंजर गोपाल चंद्रा ने बताया कि जंगल कटाई करने वालों के खिलाफ जांच कर उचित कारवाई कि जाएगी।