कांडी:स्थानीय प्रखंड मुख्यालय में चिर प्रतीक्षित अतिक्रमण हटाओ अभियान शनिवार को बाजार की बजाय मेन रोड से शुरू हुआ। अंचल पदाधिकारी राकेश सहाय के नेतृत्व व पुलिस इंस्पेक्टर सुनील कुमार एवं थाना प्रभारी अविनाश राज की उपस्थिति में भारी संख्या में पुलिस बल के साथ दो जेसीबी मशीन को लेकर अतिक्रमण हटाए जाने का काम शुरू हुआ। प्रखंड कार्यालय के दक्षिण तरफ से कार्य प्रारंभ हुआ। इस दौरान अशोक कुमार गुप्ता, संतोष गुप्ता के घर के सामने का एस्बेस्टस शीट व नाली के ऊपर का अतिक्रमण हटाया गया।वारिस खान के सामने का अतिक्रमण हटाया गया। सड़क के दोनों तरफ बनी नाली के ऊपर से अतिक्रमण हटाया गया।बहुत लोग अपना अवैध कब्जा खुद से हटा लिए। इस अभियान के कई दिनों पूर्व कई लोगों ने अपना अतिक्रमण खुद से हटा लिया था। खबर लिखे जाने तक अतिक्रमण हटाया जा रहा था। वहीं कर्पूरी चौक के पास शशि फास्ट फूड दुकान द्वारा बनाए गए फर्श को भी तोड़ा जा रहा था। इस समय अभियान वहीं तक पहुंचा था। जबकि प्रखंड कार्यालय के गेट के दाहिने दाल भात केंद्र को अभी तक नही हटाया गया है। वहीं गेट के निकट की गुमटी से सामान हटा लिया गया था। लेकिन गुमटी वहीं पड़ी हुई थी। अतिक्रमण हटाने का काम चल रहा था। विदित हो कि गढ़वा जिला का सबसे बड़ा अतिक्रमण कांडी बाजार में अवस्थित है। जहां 4.84 एकड़ के बाजार को अतिक्रमण के अजगर ने पूरा का पूरा निगल लिया है। यह अलग बात है कि चार एकड़ 6 डिसमिल के भूखंड को प्रशासन ने अब कब्जाधारियों की निजी मिल्कियत मान लिया है। प्रशासन के अनुसार केवल 78 डिसमिल बाजार की सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाया जाना है। जिसके लिए मापी के बाद 67 कब्जाधारियों को नोटिस दी गई है। वहीं 20 दिसंबर को अंचल पदाधिकारी ने खुद से माइक से अनाउंस करते हुए सभी कब्जाधारियों को अपना अतिक्रमण स्वयं हटा लेने की चेतावनी दी थी। अन्यथा प्रशासन के द्वारा बलपूर्वक अतिक्रमण हटाए जाने और उसका खर्च अतिक्रमणकारियों से वसूले जाने की चेतावनी भी दी गई थी। उसके नौवें दिन अतिक्रमण हटाए जाने का कार्य मेन रोड से प्रारंभ हुआ है। अब देखना यह होगा कि बाजार की प्रशासन के द्वारा तथा कथित 78 डिसमिल के प्लाट में निर्मित अस्थाई एवं स्थाई रूप से पक्के दुकानों को और मकानों को हटाकर उस मैदान को कब खाली किया जाता है और उस जमीन पर सरकार के द्वारा बाजार की स्थापना कब की जाती है। क्योंकि तत्कालीन अंचल पदाधिकारी जोहन टुडू के द्वारा 78 डिसमिल में से 41 डिसमिल पर से झुग्गी झोपड़ी एवं छोटी दुकानों को हटाकर अतिक्रमण हटाए जाने की खानापूर्ति की गई थी। इसके कुछ ही दिनों के बाद पुन: उसी स्थान पर बदस्तूर अतिक्रमण कर लिया गया है। उस समय हटाए गए गरीब दुकानदारों ने कहा था कि अमीर लोगों को किसी को छूने की हिम्मत नहीं हुई। लेकिन उन्हें बिना रोजी रोजगार का कर दिया गया। अब देखना है कि इस बार सरकार की गाड़ी किस दुकान तक पहुंचती है।